सँभालो बेटियाँ कि भेड़िये आ गए हैं।
नोंच डालेंगे बोटियाँ कि भेड़िये आ गए हैं।
कितनी लम्बी हो कुर्ती, कितना लम्बा हो दुपट्टा
कितना लम्बा घूंघट हो, बताने भेड़िये आ गए हैं।
कब जाना है दफ़्तर, कब आना है वापस
कब निकलना है घर से, बताने भेड़िये आ गए हैं।
कितनी उठानी है नज़र, कितनी झुकानी है नज़र
कितनी मिलानी है नज़र, बताने भेड़िये आ गए हैं।
क्यों डरेंगीं बेटियाँ अगर भेड़िये आ गए हैं
डटकर लड़ेंगीं बेटियाँ अगर भेड़िये आ गए हैं। ~ प्रवेश ~
नोंच डालेंगे बोटियाँ कि भेड़िये आ गए हैं।
कितनी लम्बी हो कुर्ती, कितना लम्बा हो दुपट्टा
कितना लम्बा घूंघट हो, बताने भेड़िये आ गए हैं।
कब जाना है दफ़्तर, कब आना है वापस
कब निकलना है घर से, बताने भेड़िये आ गए हैं।
कितनी उठानी है नज़र, कितनी झुकानी है नज़र
कितनी मिलानी है नज़र, बताने भेड़िये आ गए हैं।
क्यों डरेंगीं बेटियाँ अगर भेड़िये आ गए हैं
डटकर लड़ेंगीं बेटियाँ अगर भेड़िये आ गए हैं। ~ प्रवेश ~
धन्यवाद् महोदय | चर्चामंच पर स्थान पाना किसी भी रचनाकार के लिए सम्माननीय है | आपका हार्दिक आभार |
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