सींचा जिसको आठ माह तक
तुमने अपने रक्त से
कितने सपने देखे थे
दोनों कितने आसक्त थे ।
देखा तुमने
इस दुनिया में आशा
भी चोरी हो जाती है
धू-धू जलते हैं सपने
रौशनी खो जाती है।
तुम पकड़कर कोई कोना
सुबक - सुबक रो लेती हो
अपने मन की दबी टीस को
आँसू से धो लेती हो।
हाथ तुम्हारा लिये हाथ में
मैं तुमको समझाता हूँ
मत रो मत रो कहता हूँ
खुद अंदर अश्रु बहाता हूँ।
मैं दिखा नहीं सकता आँसू
वरना तुम फिर से रो दोगी
आँखें मसल- मसलकर
इनकी ज्योत भी खो दोगी।
कभी नहीं जो जन्मा था
क्यों उसकी मृत्यु का शोक करें !
क्यों डूबें हम अन्धकार में
जीवन का आलोक हरें ! ~ प्रवेश ~
तुमने अपने रक्त से
कितने सपने देखे थे
दोनों कितने आसक्त थे ।
देखा तुमने
इस दुनिया में आशा
भी चोरी हो जाती है
धू-धू जलते हैं सपने
रौशनी खो जाती है।
तुम पकड़कर कोई कोना
सुबक - सुबक रो लेती हो
अपने मन की दबी टीस को
आँसू से धो लेती हो।
हाथ तुम्हारा लिये हाथ में
मैं तुमको समझाता हूँ
मत रो मत रो कहता हूँ
खुद अंदर अश्रु बहाता हूँ।
मैं दिखा नहीं सकता आँसू
वरना तुम फिर से रो दोगी
आँखें मसल- मसलकर
इनकी ज्योत भी खो दोगी।
कभी नहीं जो जन्मा था
क्यों उसकी मृत्यु का शोक करें !
क्यों डूबें हम अन्धकार में
जीवन का आलोक हरें ! ~ प्रवेश ~
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