जिंदगी हूँ
जिंदगी हूँ , जिंदगी को क्या लिखोगे !
कभी साहिल कभी समंदर गहरा लिखोगे ।
हार जाओगे तो काली रात शायद,
जीत जाओगे नया सहरा लिखोगे ।
तुम्हारी मर्जी से गर चलने लगूँ तो
नई धूप का मुझको कोई कतरा लिखोगे ।
मुआहिदा करना पड़े मुझसे अगर तो
दुश्मन -ए - रौशनी कुहरा लिखोगे ।
बदलते हो रोज मेरे मायने तुम
आज कुछ , जाने कल क्या - क्या लिखोगे ।
प्रवेश
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