गोल
सूरज सदा उगा रह जाता,
चाँद कभी वापस न आता,
सोचो ! अगर गोल न होता ?
एक कभी दस बन नहीं पाता,
एक में भला क्या -क्या आता?
तबला न होता, ताल न होती,
बन्दूक में भी नाल न होती,
पानी के लिए नल न होता,
और हर घर में जल न होता,
स्पेन फुटबौल में हार ही जाता,
इंग्लैंड हौकी में पार न पाता,
सड़क न होती, पटरी न होती,
बरसात के लिए छतरी न होती,
खाने को न थाली होती,
होती भी तो खाली होती,
तब कोई विमान न होता,
गाड़ी का अभिमान न होता,
न तो सिगरेट, बीडी होती,
फ्लौपी और न सीडी होती,
घडी की घूमती सुई न होती,
शाम से सुबह हुई न होती,
टीवी की केबल न होती,
टेनिस की टेबल न होती,
क्रिकेट, वोलीबाल न होता,
फिक्सिंग का बवाल न होता,
बिना आँख के किसको दिखता?
बिना कलम के मैं क्या लिखता?
सारा जग वीरान होता,
आज कहाँ इंसान होता?
सोचो ! अगर गोल न होता ?
No comments:
Post a Comment