क्या बदल जायेगी सूरत बेवजह चीत्कार से ?
सूरत बदलनी है तो बदलो वोट के हथियार से ।।
बाहर निकालो आस्तीनों में छिपे जो अब तलक ।
साँप कभी पालतू बनते नहीं पुचकार से ॥
बिक जाते हो रंग - बिरंगे कागजों और पानी में ।
अनजान हो तकदीर के निर्माण के अधिकार से ॥
मैं किसी दल के किसी नेता का सम्बन्धी नहीं ।
जागरूक करना चाहता हूँ लेखनी की धार से ॥
फिर से फेंके जायेंगे टुकड़े लुभाने के लिये ।
अभी - अभी पता चला है आज के अखबार से ॥
रहनुमा जो भी चुनो , होशोहवास में चुनो ।
बहस करते हो बहुत मामूली दुकानदार से ॥ ~ प्रवेश ~
सूरत बदलनी है तो बदलो वोट के हथियार से ।।
बाहर निकालो आस्तीनों में छिपे जो अब तलक ।
साँप कभी पालतू बनते नहीं पुचकार से ॥
बिक जाते हो रंग - बिरंगे कागजों और पानी में ।
अनजान हो तकदीर के निर्माण के अधिकार से ॥
मैं किसी दल के किसी नेता का सम्बन्धी नहीं ।
जागरूक करना चाहता हूँ लेखनी की धार से ॥
फिर से फेंके जायेंगे टुकड़े लुभाने के लिये ।
अभी - अभी पता चला है आज के अखबार से ॥
रहनुमा जो भी चुनो , होशोहवास में चुनो ।
बहस करते हो बहुत मामूली दुकानदार से ॥ ~ प्रवेश ~
No comments:
Post a Comment