Monday, January 1, 2018

छपा कौन ?

ओ हो हो
छप चुके महाशय जी
कैसे हैं आप
कैसी हैं आपकी किताबें
कुछ बिकीं भी या
सब बाँटनी ही पड़ी
उपहार-स्वरूप !!
आपने कहा था ना
हमारा लिखा
कोई छापेगा नहीं
बस यूं ही काटते - चिपकाते रहेंगे
फेसबुक से ब्लॉग
ब्लॉग से वाट्सऐप
वाट्सऐप से फिर फेसबुक पर।
मगर सुनिये जनाब
आपको लिख के देते हैं
पूरे होश-ओ-हवास में,
जिस दिन धूल खा रही होंगी
आपकी किताबें
या जिस दिन खायी जा रही होंगी
उनमें जलेबी - पकौड़ियाँ
उस दिन भी चोरी हो रहा होगा
हमारा लिखा
फेसबुक से ब्लॉग
ब्लॉग से वाट्सऐप
वाट्सऐप से फिर फेसबुक पर,
लोग फिर से छप रहे होंगे
किताबें बाँटने के लिए
हमारा लिखा अपने नाम करके।
पर जरा सोचो
छपा कौन ? ~ प्रवेश ~

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