Sunday, August 17, 2014

आओ पीठ खुजायें

आओ पीठ खुजायें
आओ पीठ खुजायें
हम सोशल नेटवर्क के बन्दे
ऐसी रस्म निभायें
आओ पीठ खुजायें

तुम मुझको दो लाइक देना
दो मैं तुमको दूँगा
लेन - देन हो खरा- खरा
उधार नहीं रखूँगा
पारदर्शिता अपनायें
आओ पीठ खुजायें -2

तुम मुझको अच्छा कह देना
मैं भी वाह - वाह करूँगा
जितने भी मैं कमेंट करूँ
उतनी ही चाह करूँगा
मिलकर भूख बढ़ायें
आओ पीठ खुजायें -2

तुम जो भी लिख दोगे
कभी न ऊल-जुलूल कहूँगा
मीन-मेख जो ढूँढेगा
उसकी ही भूल कहूँगा
ऐसा सामंजस्य बिठायें
आओ पीठ खुजायें -२

हम सोशल नेटवर्क के बन्दे
ऐसी रस्म निभायें
आओ पीठ खुजायें
आओ पीठ खुजायें | ~ प्रवेश ~

5 comments:

  1. वर्तमान समय का सच उजागर करती रचना
    बहुत खूब --
    बधाई -
    जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाऐं ----

    आग्रह है मेरे ब्लॉग में सम्मलित हों
    कृष्ण ने कल मुझसे सपने में बात की -------

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  2. चर्चमंच में स्थान देने हेतु धन्यवाद श्रीमान ... जय श्री कृष्ण

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