बेटी की विदाई
एक रूह मेरी रूह से पराई हो रही है ।
आज मेरी बेटी की विदाई हो रही है ।।
कुछ अजनबी रिश्ते निभाने जा रही है लाडली ।
कुछ पुराने रिश्तों से रुसवाई हो रही है ।।
तुमको अकेला छोड़कर , बाबा कभी ना जाऊँगी ।
आज खुद के ही वादे से बेवफाई हो रही है ।।
एक आँसू भी सुहाता था ना उसकी आँख में ।
आज दहाड़े मारकर भरपाई हो रही है ।।
प्रेम का प्रसाद हर पल मिले ससुराल में ।
मौजूद हर दिल से , यही दुहाई हो रही है ।।
एक रूह मेरी रूह से पराई हो रही है ।
आज मेरी बेटी की विदाई हो रही है ।।
कुछ अजनबी रिश्ते निभाने जा रही है लाडली ।
कुछ पुराने रिश्तों से रुसवाई हो रही है ।।
तुमको अकेला छोड़कर , बाबा कभी ना जाऊँगी ।
आज खुद के ही वादे से बेवफाई हो रही है ।।
एक आँसू भी सुहाता था ना उसकी आँख में ।
आज दहाड़े मारकर भरपाई हो रही है ।।
प्रेम का प्रसाद हर पल मिले ससुराल में ।
मौजूद हर दिल से , यही दुहाई हो रही है ।।
दहेज़ में ले जा रही है , पुलिंदा तहजीब का ।
डोली में सवार मेरी उम्र की कमाई हो रही है ।।
" प्रवेश "
बहुत अच्छी प्रस्तुति!
ReplyDeleteइस प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार (20-10-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ! नमस्ते जी!
नमस्कार श्रीमान जी...रचना को मान देने के लिए आपका आभारी हूँ |
Deleteबहुत सुन्दर भावप्रद रचना..
ReplyDelete:-)
shukriya Reena Maurya ji
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