Tuesday, August 7, 2012

बाढ़ का कहर - श्रद्धांजलि

बाढ़ का कहर - श्रद्धांजलि 

इन्द्रदेव प्रसन्न हैं या रुष्ट
कह पाना मुश्किल है
शायद रुष्ट .. जी नहीं
अत्यंत रुष्ट ।
प्रसन्नता होती तो
निर्दोष क्यों मारे जाते !
अच्छी फसल के लिये
अच्छी बरसात का इन्तजार ,
और उसी इन्तजार के बीच
अतिवृष्टि .. सब तहस - नहस ।
आलिशान भी बेबस
झोपड़ियों का तो ठौर ही कहाँ ,
जो रास्ते में आया
साथ हो लिया ।
उम्र का भी लिहाज न किया
बैरन बाढ़ ने ,
बच्चा - बूढा - जवान ,
जो मिला उसी को ले चली ।
जब जोर न चला
तथाकथित सर्वशक्तिमान का ,
तो क्या हस्र हुआ होगा
भला बेजबान जानवरों का !
सब निकल पड़े
अप्रत्याशित दीर्घ यात्रा पर ,
जिसकी मंजिल काल और
विश्राम ... चिर विश्राम ।
याद आता है प्रसंग
ब्रज पर इन्द्रदेव के प्रकोप का ,
किन्तु नजर नहीं आता
कहीं कोई गिरधारी
जो मदद को आगे आये,
जिसकी शरण में जाया जाये
अपना दुखड़ा सुनाया जाये ।

                                                "प्रवेश "

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