Wednesday, March 28, 2012
Monday, March 26, 2012
आईना करे सवाल
आईना करे सवाल
आईना करे सवाल , क्या करूँ
पूछे मेरा हाल, क्या करूँ ।
झूठ बोलना सीखा ही नहीं
सच कहूँ तो मचे बवाल , क्या करूँ ।
झुर्रियों की वजह पूछता है
गहराती सालों - साल , क्या करूँ ।
ठहर - ठहर चलने लगा हूँ
सुस्त पड़ गयी चाल , क्या करूँ ।
जवानी के नुस्खे पढने लगा हूँ
कहीं हो न जाये कमाल , क्या करूँ ।
आईना करे सवाल क्या करूँ !!!
प्रवेश
Wednesday, March 21, 2012
अब गाँव चलूँ
अब गाँव चलूँ
शहर सुहाता नहीं , अब गाँव चलूँ ,
धुआँ सहा जाता नहीं , अब गाँव चलूँ ।
सीधे - सुल्टे पैर हैं भूतों के यहाँ ,
ये तबका खौफ तो खाता नहीं , अब गाँव चलूँ ।
कभी देखा ना जो , दिखते हैं अब ऐसे मंजर ,
नजारा कोई भाता नहीं , अब गाँव चलूँ ।
बहुत भीड़ है सड़कों पे , सूना है शहर ,
सुकून दिल कहीं पाता नहीं , अब गाँव चलूँ ।
ज़माने के साथ बदलो , बच्चे कहते हैं ,
मैं खुद को बदल पाता नहीं , अब गाँव चलूँ ।
प्रवेश
Monday, March 19, 2012
"तुम्हारे नाम से "
"तुम्हारे नाम से "
आधी छुट्टी में
मेरे बस्ते से
चित्रकला की कॉपी निकालकर
तुमने उसके आखिरी पन्ने पर
बनाया था जो गुलाबी पान का पत्ता
ऐसा लग रहा था
जैसे बिना पत्तियों की शलजम
रख दी हो
अधकटी मूल जड़ के साथ ।
मैं हँसा था और
मजाक बनाया था
तुम्हारी चित्रकारी का,
पूछने पर तुमने बताया था
कि दिल है तुम्हारा ।
मुझे संदेह हुआ था
तुम्हारी बात पर नहीं
विज्ञान की किताब पर ,
इकाई छः
'श्वसन तंत्र ' ।
गोश्त के एक टुकड़े के समान
मानव ह्रदय का चित्र था
अनेक भागों के साथ ।
तुम्हारा दिल तो एकदम अलग ,
न आलिंद न निलय
बस एक दिल ही था
सम्पूर्ण
बिना किसी भाग के ।
मेरा सवाल
"आखिर ये काम कैसे करता है ?
ये कैसे धड़कता है ?"
और तुम्हारा वो जवाब
जो मुझे निष्प्रश्न सा कर गया
"तुम्हारे नाम से "
मुझे याद है आज भी ।
प्रवेश
Friday, March 16, 2012
दोस्ती करोगे ?
दोस्ती करोगे ?
नाटा कद
चपटी नाक
धँसी हुई आँखें
उलझे केश
विशाल दन्त
चीथड़ों में लिपटा
एक खुरदरा जिस्म
फटे कपड़ो से
बाहर झाँकते
नये पुराने जख्म ,
जैसे जख्मों की
चलती - फिरती
प्रदर्शनी हो ।
दुनिया जहाँन की
तमाम बदसूरती
तमाम खामियाँ ।
बस एक ही खूबी
सीने में एक सोने का दिल ।
क्या आप दोस्ती करोगे ?
प्रवेश
Wednesday, March 14, 2012
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