Thursday, January 27, 2011

पतझड़

पतझड़

ढीली पड़ना पत्ती पर
टहनी की पकड़ का ,
है संकेत आगमन का
पतझड़ का |

ऐसी कोई वजह न थी,
पत्ती टहनी को छोड़ सके
तेज हवा के झोंके भी ,
मजबूत पकड़ न तोड़ सके |

पत्ती का टहनी से बिछोड
वक़्त है इसका जिम्मेदार,
कौन बच सका है भला
जब वक़्त ने किया जमकर वार |

आपस में टकराने से ही
हो गए पत्ते टहनी से दूर,
कमजोर पकड़ और टकराना,
फिर टूटना... दुनिया का दस्तूर |
                                                                         प्रवेश

Tuesday, January 25, 2011

विशेष भारत

विशेष भारत 

मेरे भारत का ही गुणगान करे  सारा जहाँ,
सिवा इसके वो चैन और वो आराम कहाँ!

हर तरफ शांति और शांति बस शांति रहे,
सारी दुनिया को मिले ऐसा ही पैगाम यहाँ |
मेरे भारत ......................... आराम कहाँ !

हर धर्म और हर मजहब की क़द्र करते हैं ,
हर इंसान को मिले प्यार और सम्मान यहाँ |
 मेरे भारत ......................... आराम कहाँ !

मिलजुल के करें काम यहाँ लोग सभी ,
नामुमकिन नहीं प्यारे कोई भी काम यहाँ |
मेरे भारत ......................... आराम कहाँ !

हर सीने में है फौलाद ही फौलाद भरा ,
दुश्मन की हर एक चाल हो नाकाम यहाँ |
मेरे भारत ......................... आराम कहाँ !
                                                                    प्रवेश

Thursday, January 20, 2011

जब से होश संभाला यारो

जब से होश संभाला यारो

जब से होश संभाला यारो ,
बस यही देखा भाला यारो |
सच्चे को दबते देखा और 
झूठे का बोलबाला यारो |
मक्कारी को फलते देखा ,
मेहनत का दिवाला यारो |
दिन में अँधियारा देखा और ,
दीपक तले उजाला यारो |
कुत्ता खाये बिस्कुट, आदमी 
तरसे देख निवाला यारो |
घर - घर संसद बनती देखी ,
नेता हर घर वाला यारो |
गोदाम में राशन सड़ते देखा ,
राशन की दुकान पे ताला यारो |
कंकड़ पत्थर दाल में देखा ,
लीद मिला मसाला यारो |
जब से होश संभाला यारो ,
बस यही देखा भाला यारो |
                                                              प्रवेश 

Wednesday, January 19, 2011

महंगाई

महंगाई 


फैली महंगाई 
रक्तबीज सी,
बढ़ गई कीमत
हर एक चीज की |

देखो हालत 
पशोपेश की,
क्या दशा 
हो गई देश की ?

जिसको देखो 
परेशान लगे,
बाप, बेटे का 
मेहमान लगे |

ऐसे बनें 
अस्पताल,
करें दूर 
ये बीमारी गन्दी |

ऐसी सुविधाएँ 
हों मुहाल,
हो महंगाई की
नसबंदी |
                                          प्रवेश 

Friday, January 14, 2011

सोचो ! अगर गोल न होता ?

गोल

सूरज सदा उगा रह जाता,
चाँद कभी वापस न आता,
सोचो ! अगर गोल न होता ?
 
एक कभी दस बन नहीं पाता,
एक में भला क्या -क्या आता?

तबला न होता, ताल न होती,
बन्दूक में भी नाल न होती,

पानी के लिए नल न होता,
और हर घर में जल न होता,

स्पेन फुटबौल में हार ही जाता,
इंग्लैंड हौकी में पार न पाता,

सड़क न होती, पटरी न होती,
बरसात के लिए छतरी न होती,

खाने को न थाली होती,
होती भी तो खाली होती,

तब कोई विमान न होता,
गाड़ी का अभिमान न होता,

न तो सिगरेट, बीडी होती,
फ्लौपी और न सीडी होती,

घडी की घूमती सुई न होती,
शाम से सुबह हुई न होती,

टीवी की केबल न होती,
टेनिस की टेबल न होती,

क्रिकेट, वोलीबाल न होता,
फिक्सिंग का  बवाल न होता,

बिना आँख के किसको दिखता?
बिना कलम के मैं क्या लिखता?

सारा जग वीरान होता,
आज कहाँ इंसान होता?
सोचो ! अगर गोल न होता ?
                  
                                                                                                                           प्रवेश

Friday, January 7, 2011

नैनो का संदेशा


नैनो  का संदेशा

मियां - बीवी
बच्चे दो ,
केवल अब
हर घर में हो |
रुपये रोड़ा
न अटकाए ,
सस्ती सुलभ
यात्रा पाए |
महंगाई और
जन विस्फोट ,
भविष्य का
अंदेशा है |
सीमित और
खुशहाल परिवार,
नैनो  का संदेशा है |
                                                                प्रवेश